कुछ हानिकारक रसायन जो हमारी कपड़ों की अलमारियों में दुबक जाते है,
चीन के शोधकर्ताओं की एक टीम ने चीनी निवासियों में इस्तेमाल किए गए और धोए गए कपड़ों के 90 से अधिक संख्या में रसायन बिस्फेनॉल ए की तुलना की जिसमें उन्होंने पाया कि नए कपड़ों की तुलना में औसतन इस्तेमाल किए गए कपड़ों में दो बार से ज्यादा की संख्या में यह रसायन उपस्थित होता है शोधकर्ताओं ने पाया की धुलाई वाले कपड़ों में बिस्फेनॉल ए रसायन कम मात्रा में उपस्थित होता है लेकिन जो कपड़े इस्तेमाल किए जाते हैं उनसे यह रसायन अन्य कपड़ों में भी फैल सकता है हालांकि कपड़े धोने के डिटर्जेंट ने ऐसे क्रॉस संदूषण को कम कर दिया है क्योंकि पानी और डिटर्जेंट बिस्फेनॉल ए को काफी हद तक कम या खत्म कर देता है बहुत से लोग अपने कपड़ों के माध्यम से इस रसायन के संपर्क में आ सकते हैं जाने अनजाने या ना चाहते हुए भी यह रसायन कपड़ों के माध्यम से शरीर तक पहुंचकर हानि पहुंचाने का काम करते हैं
क्या होता है ?"बिस्फेनॉल ए"
बिस्फेनॉल-ए (BPA) एक कार्बन आधारित हाइड्रॉक्सिफिनॉल यौगिक है,
जिसका रासायनिक सूत्र (CH3)2C (C6H4OH)2। यह डाइफिनाइल मीथेन संजातों के समूह से सम्बंधित है। यह एक रंगहीन अमणिभ ठोस है, जो कार्बनिक विलायकों में घुलनशील है किन्तु जल में बहुत कम विलयशील है।
बिस्फेनॉल एक का उपयोग मुख्यतः प्लास्टिक निर्माण में किया जाता है वर्तमान में कम से कम 36 लाख टन बिस्फेनॉल ए का उपयोग प्रतिवर्ष विश्व में विभिन्न उत्पाद निर्माताओं द्वारा किया जा रहा है बिस्फेनॉल ए आधारित प्लास्टिक पारदर्शी और दृढ़ होती हैं इस रसायन से निर्मित सामग्री जैसे पानी की बोतल, शिशु आहार बोतल ,चश्मे के लेंस ,खेल सामग्री ,घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, आदि बहुत अधिक मात्रा में उपयोग में लाए जाते हैं यह रसायन आसानी से अपघटित हो जाता है जो विभिन्न माध्यमों के द्वारा हमारे शरीर में पहुंचकर कुछ हानिकारक रोगों को जन्म देता है
मानव के स्वास्थ्य पर बिस्फेनॉल रसायन का हानिकारक प्रभाव
वयस्कों की अपेक्षा बच्चे बिस्फेनॉल ए के प्रति अधिक संवेदी होते हैं भारत जैसे देश में किशोर बड़े पैमाने में बिस्फेनॉल ए के प्रभाव से ग्रस्त हैं आज की मॉडर्न संस्कृति के हिसाब से जो खानपान उपयोग में लाया जाता है उसमें डब्बा बंद खाना और पेय पदार्थ हो ने अपनी अहम भूमिका निभाई है आहार के अतिरिक्त यह हवा और त्वचा अवशोषण द्वारा भी संचारित होता है यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि इस रसायन से मानव शरीर में ऐसे कौन से हानिकारक परिवर्तन होते हैं जो अत्यंत सोचनीय हैं दरअसल बिस्फेनॉल ए की भूमिका कृत्रिम एस्ट्रोजेंन के रूप में होती है जो प्राकृतिक एस्ट्रोजेन से काफी मिलती जुलती है यह वन्यजीव और मानव दोनों में ही प्रजनन समस्याओं से जुड़ा है जैसे शुक्राणु संख्या और गुणवत्ता में कमी जननांगों में असमानता जैसे पुरुषों में लिंग अथवा मूत्र नली में विकृति तथा स्त्रियों में तारुण्य का जल्दी आगमन जनन क्षमता पर प्रभाव गर्भपात एवं जन्म दोषों का होना आम बात है इसके अतिरिक्त यह रसायन एक कैंसरकारी है जिससे महिलाओं में स्तन कैंसर और पौरुष ग्रंथि के कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है
2 comments:
वेरी nyc
Thnku
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